OLR क्या होता है? (What is OLR?)

Of course, समझिए OLR को। यह 3-फेज मोटर के लिए एक बहुत ही जरूरी सुरक्षा उपकरण है।

OLR क्या होता है? (What is OLR?)

OLR का मतलब है ओवरलोड रिले (Overload Relay)। यह एक सुरक्षात्मक डिवाइस (Protective Device) है जिसका मुख्य काम मोटर को ज्यादा करंट (ओवरलोड) लगने से बचाना है। जब भी मोटर पर जरूरत से ज्यादा लोड लगता है (जैसे कोई मशीन जाम हो जाए), तो मोटर ज्यादा करंट खींचने लगती है। इस ज्यादा करंट की वजह से मोटर की वाइंडिंग गर्म होकर जल सकती है। OLR इसी को रोकता है.


OLR कैसे काम करता है? (How does OLR work?)

OLR आमतौर पर थर्मल प्रिंसिपल (Thermal Principle) यानी गर्मी के सिद्धांत पर काम करता है। इसमें एक बाइमेटैलिक स्ट्रिप (Bimetallic Strip) होती है।

  1. सामान्य स्थिति: जब मोटर सामान्य करंट ले रही होती है, तो बाइमेटैलिक स्ट्रिप सीधी रहती है और सर्किट जुड़ा रहता है।
  2. ओवरलोड स्थिति: जब मोटर ज्यादा करंट लेती है, तो यह करंट OLR से होकर गुजरता है। ज्यादा करंट की वजह से बाइमेटैलिक स्ट्रिप गर्म होकर मुड़ने लगती है।
  3. ट्रिप मैकेनिज्म: एक निश्चित समय तक ज्यादा करंट流ने के बाद, बाइमेटैलिक स्ट्रिप इतनी मुड़ जाती है कि यह एक ट्रिप मैकेनिज्म (Trip Mechanism) को एक्टिवेट कर देती है। इससे एक एक्ज़िलरी कॉन्टैक्ट (Auxiliary Contact) खुल जाता है जो कंट्रोल सर्किट को तोड़ देता है।
  4. मोटर बंद: कंट्रोल सर्किट टूटने से मेन कॉन्टैक्टर (Main Contactor) की कॉइल डी-एनर्जाइज हो जाती है और मोटर की सप्लाई बंद हो जाती है। इस तरह मोटर जलने से बच जाती है.

ध्यान रखें: OLR, शॉर्ट सर्किट (Short Circuit) से सुरक्षा नहीं देता है। उसके लिए अलग से फ्यूज (Fuse) या एमसीबी (MCB) का इस्तेमाल किया जाता है.


OLR के कितने टर्मिनल होते हैं? (How many terminals does an OLR have?)

एक स्टैंडर्ड थर्मल ओवरलोड रिले में मुख्य रूप से तीन प्रकार के टर्मिनल होते हैं:

टर्मिनल का प्रकारसंख्याक्या काम करता है?
मेन पावर टर्मिनल (Main Power Terminals)3 (L1, L2, L3 इनपुट और T1, T2, T3 आउटपुट)ये मोटर के मेन सर्किट में सीरीज़ में लगते हैं। इन्हीं से होकर मोटर का करंट गुजरता है।
एक्ज़िलरी कॉन्टैक्ट टर्मिनल (Auxiliary Contact Terminals)2 या 3 (95-96 या 97-98)ये कंट्रोल सर्किट में लगते हैं। आमतौर पर एक नॉर्मली क्लोज्ड (NC – 95-96) कॉन्टैक्ट होता है जो ओवरलोड होने पर खुल जाता है और सर्किट को तोड़ देता है। कुछ OLR में एक नॉर्मली ओपन (NO) कॉन्टैक्ट (97-98) भी होता है।
करंट सेटिंग घुंडी (Current Setting Knob)1 (भौतिक घुंडी)इसे घुमाकर मोटर के फुल लोड करंट (FLC) के अनुसार OLR की ट्रिप करंट वैल्यू सेट की जाती है।

कुल मिलाकर, OLR के बाहरी कनेक्शन के लिए आमतौर पर 3 मेन टर्मिनल + 2 (या 3) एक्ज़िलरी टर्मिनल दिखाई देते हैं।


कॉन्टैक्टर में OLR का कनेक्शन कैसे किया जाता है? (How is OLR connected in a contactor?)

OLR को मेन कॉन्टैक्टर (Main Contactor) और मोटर के बीच में लगाया जाता है। नीचे पावर सर्किट और कंट्रोल सर्किट दोनों का तरीका बताया गया है।

1. पावर सर्किट में कनेक्शन (Connection in Power Circuit):

  • तीन-फेज सप्लाई (L1, L2, L3) पहले मेन कॉन्टैक्टर (KM1) के इनपुट में आती है।
  • मेन कॉन्टैक्टर के आउटपुट (T1, T2, T3) को OLR के इनपुट टर्मिनलों से जोड़ा जाता है।
  • OLR के आउटपुट टर्मिनलों से सीधे मोटर (M) के टर्मिनलों (U1, V1, W1) पर वायर जाती है.
  • इस तरह, मोटर में जाने वाला पूरा करंट OLR से होकर गुजरता है, जिससे वह उसे measure कर पाता है।

2. कंट्रोल सर्किट में कनेक्शन (Connection in Control Circuit):

यह कनेक्शन सबसे ज़रूरी है क्योंकि इसी से मोटर बंद होती है।

  • OLR का NC (95-96) कॉन्टैक्ट कंट्रोल सर्किट की श्रृंखला (Series) में लगाया जाता है।
  • यह आमतौर पर मेन कॉन्टैक्टर (KM1) की कॉइल के ठीक पहले या बाद में लगा होता है।
  • जब OLR ट्रिप होता है, तो यह NC (95-96) कॉन्टैक्ट खुल जाता है।
  • इससे मेन कॉन्टैक्टर (KM1) की कॉइल का सर्किट टूट जाता है।
  • कॉइल डी-एनर्जाइज होने से मेन कॉन्टैक्टर के सभी कॉन्टैक्ट्स खुल जाते हैं और मोटर को पूरी सप्लाई बंद हो जाती है.

सरल भाषा में: OLR मोटर के करंट पर नजर रखता है। जरूरत से ज्यादा करंट लगते ही वह कंट्रोल सर्किट का एक स्विच ऑफ कर देता है, जिससे पूरी सिस्टम शट डाउन हो जाती है।

OLR के बारे में जरूरी बातें (Key Points about OLR):

  • रीसेट बटन (Reset Button): OLR के ऊपर एक रीसेट बटन (मैनुअल या ऑटोमैटिक) होता है। ट्रिप होने के बाद, मोटर को दोबारा स्टार्ट करने से पहले OLR को रीसेट करना पड़ता है।
  • करंट सेटिंग: OLR की करंट सेटिंग मोटर के फुल लोड करंट (FLC) के अनुसार ही करनी चाहिए, नहीं तो यह या तो बेवजह ट्रिप करेगा या फिर मोटर को सही से प्रोटेक्ट नहीं कर पाएगा।
  • स्टार-डेल्टा स्टार्टर में OLR: स्टार-डेल्टा स्टार्टर में, OLR को हमेशा डेल्टा कॉन्टैक्टर के बाद लगाया जाता है ताकि यह मोटर के पूरे ऑपरेशन दौरान उसके करंट को सही तरीके से मॉनिटर कर सके.

निष्कर्ष: OLR मोटर का एक वफादार संरक्षक (Guardian) है जो उसे ओवरलोड की वजह से जलने से बचाता है। इसके कनेक्शन को सही तरीके से समझना और लगाना बहुत जरूरी है।

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