PLC क्या है? (What is PLC?)

बिल्कुल! हिंदी में समझिए PLC के बारे में पूरी जानकारी।

PLC क्या है? (What is PLC?)

PLC का मतलब है “प्रोग्रामेबल लॉजिक कंट्रोलर” (Programmable Logic Controller)। यह एक खास तरह का कंप्यूटर है जिसे फैक्ट्रियों और उद्योगों में मशीनों और प्रक्रियाओं (Processes) को स्वचालित (Automate) करने के लिए बनाया गया है।

इसे ऐसे समझें: जैसे एक इंसान अपने दिमाग से सोचकर मशीन चलाता है, वैसे ही PLC एक डिजिटल दिमाग की तरह काम करता है। इसे एक प्रोग्राम (निर्देशों का सेट) दिया जाता है और फिर यह उसी के अनुसार मशीनों को ON/OFF करता है, उनकी स्पीड और तापमान को कंट्रोल करता है।

PLC कितने प्रकार के होते हैं? (Types of PLC)

PLC को मुख्य रूप से दो आधारों पर बांटा जा सकता है:

1. हार्डवेयर संरचना के आधार पर (Based on Hardware Structure):

  • कॉम्पैक्ट या इंटीग्रेटेड PLC (Compact / Integrated PLC):
    • इसमें CPU, Power Supply, Input/Output (I/O) ports सब एक ही बॉक्स (यूनिट) में बने होते हैं।
    • इनपुट/आउटपुट (I/O) की संख्या तय होती है, इसे बाद में बढ़ाया नहीं जा सकता।
    • उदाहरण: छोटी मशीनों या एप्लीकेशन के लिए उपयुक्त।
  • मॉड्यूलर PLC (Modular PLC):
    • इसमें अलग-अलग मॉड्यूल होते हैं जैसे अलग CPU, अलग Power Supply, अलग Input Module, अलग Output Module आदि।
    • इन्हें एक रैक (Rack) में लगाया जाता है।
    • जरूरत के हिसाब से Input/Output modules को बढ़ाया जा सकता है।
    • उदाहरण: बड़े और जटिल औद्योगिक सिस्टम के लिए उपयुक्त।

2. आकार और क्षमता के आधार पर (Based on Size and Capability):

  • नैनो PLC (Nano PLC): बहुत छोटे, कम इनपुट/आउटपुट वाले (लगभग 16 I/O तक)।
  • माइक्रो PLC (Micro PLC): छोटे आकार के, मध्यम I/O क्षमता वाले (लगभग 256 I/O तक)।
  • मध्यम PLC (Medium PLC): ज्यादा I/O points और मेमोरी क्षमता वाले।
  • लार्ज या बड़े PLC (Large PLC): बहुत जटिल और बड़े सिस्टम्स के लिए, हज़ारों I/O points को सपोर्ट करने वाले।

PLC काम कैसे करता है? (How does a PLC work?)

PLC का काम चार मुख्य चरणों (Steps) में होता है, जिसे “स्कैन साइकिल” (Scan Cycle) कहते हैं:

  1. इनपुट स्कैन (Input Scan): सबसे पहले PLC, अपने सभी इनपुट डिवाइसों (जैसे सेंसर, स्विच, बटन) से सिग्नल पढ़ता है कि वे ON हैं या OFF। यह जानकारी उसकी मेमोरी में सेव हो जाती है।
  2. प्रोग्राम एक्सिक्यूशन (Program Execution): फिर PLC अपने प्रोग्राम (जो उसे सिखाया गया है) को चलाता है। वह मेमोरी में सेव इनपुट डेटा के आधार पर तय करता है कि आउटपुट को क्या करना है। (जैसे: अगर सेंसर ON है तो मोटर चलाओ, वरना बंद करो)
  3. आउटपुट स्कैन (Output Scan): प्रोग्राम रन होने के बाद, PLC अपने आउटपुट डिवाइसों (जैसे मोटर, रिले, लाइट, वाल्व) को सिग्नल भेजता है। उन्हें ON या OFF करता है।
  4. हाउसकीपिंग (Housekeeping): यह अंतिम चरण है जिसमें PLC अपने आंतरिक सिस्टम की जांच करता है, कम्युनिकेशन आदि का ख्याल रखता है।

यह साइकिल बहुत तेजी से (मिलीसेकंड में) और लगातार चलती रहती है, इसीलिए मशीनें Real-Time में काम कर पाती हैं।

PLC सीखने के लिए हमें क्या करना चाहिए? (How to learn PLC?)

PLC सीखना एक Practical स्किल है। इसके लिए ये steps follow करें:

  1. बेसिक नॉलेज (Basics):
    • बुनियादी इलेक्ट्रॉनिक्स: Voltage, Current, Sensors, Relays, Contactors के बारे में जानें।
    • इलेक्ट्रिकल सिंबल्स: सर्किट डायग्राम पढ़ना सीखें।
    • तर्क (Logic): AND, OR, NOT जैसे बेसिक लॉजिक गेट्स को समझें। यह PLC प्रोग्रामिंग की नींव है।
  2. प्रोग्रामिंग भाषाएं सीखें (Learn Programming Languages):
    • PLC को प्रोग्राम करने के लिए मुख्य रूप से “लेडर डायग्राम (Ladder Diagram – LD)” भाषा का use होता है। यह बिल्कुल इलेक्ट्रिकल सर्किट डायग्राम की तरह दिखती है, इसलिए इसे सीखना आसान है।
    • इसके अलावा फंक्शन ब्लॉक डायग्राम (FBD), स्ट्रक्चर्ड टेक्स्ट (ST) आदि भाषाएं भी सीखें।
  3. सॉफ्टवेयर का अभ्यास करें (Practice with Software):
    • ज्यादातर PLC मैन्युफैक्चरर के फ्री सिम्युलेशन सॉफ्टवेयर होते हैं। उन्हें डाउनलोड करके अपने कंप्यूटर पर प्रैक्टिस करें।
    • उदाहरण: Siemens के लिए TIA Portal (Trial Version), Allen Bradley (Rockwell) के लिए RSLogix / Studio 5000 (Emulate版), Schneider Electric के लिए EcoStruxure Machine Expert आदि।
  4. प्रैक्टिकल ट्रेनिंग (Practical Training):
    • अगर संभव हो तो एक छोटा PLC Kit खरीदें। सॉफ्टवेयर में बना प्रोग्राम असली PLC में डालकर देखने से बहुत अच्छा अनुभव मिलता है।
    • ऑनलाइन YouTube पर बहुत सारे अच्छे Tutorials और Courses (हिंदी और अंग्रेजी दोनों में) उपलब्ध हैं।
    • किसी अच्छे इंस्टिट्यूट से डिप्लोमा या सर्टिफिकेट कोर्स करें जहाँ Hands-on Training दी जाती हो।
  5. प्रोजेक्ट बनाएं (Build Projects):
    • छोटे-छोटे प्रोजेक्ट्स बनाना शुरू करें। जैसे:
      • एक LED को ON/OFF करना।
      • स्टेयरकेस लाइट (दो जगह से एक लाइट कंट्रोल) का प्रोग्राम बनाना।
      • कन्वेयर बेल्ट का सिमुलेशन बनाना।

शुरुआत के लिए सबसे जरूरी चीज है – Ladder Logic में प्रैक्टिस करना और बेसिक लॉजिक को अच्छे से समझना।

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